21 वी सदी में भी विकास से वंचित मीरा-भायंदर का खोपरा गांव 


आजादी के पहले से हैं गांव का अस्तित्व 


आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित 


विनोद मिश्र 


मीरा -भाइंदर शहर ने ग्रामपंचायत, नगरपरिषद से महानगरपालिका तक का सफर पूरा किया है। लेकिन मनपा क्षेत्र में एक ऐसा भी खोपरा गांव है, जहां जाने के लिए सड़क ही नही है। २१ वी सदी में भी इस गांव में विकास नही पहुंच सका है। गांव के लोग आज भी कुंए का पानी पीने को मजबूर हैं। प्रशासन की तरफ से कुछ स्थानों पर बोरिंग कर बोरवेल लगाई गई है, लेकिन उसमें खारा व कड़वा पानी आता है। वर्ष 2018 तक यहां बिजली तक नहीं पहुंची थी। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की पहल व मेहनत से दो वर्ष पूर्व इस गांव में बिजली पहुंची। स्कूल, स्वास्थ्य की सुविधा तो यहां है ही नही। किसी के गंभीर बीमार पड़ने पर उसे नाव के माध्यम से खाड़ी के रास्ते शहर तक या मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है।


खोपरा गांव का इतिहास
खोपरा गांव भाइंदर पश्चिम के उत्तन रोड पर मोरवा गांव से आगे कुंभार्डा गांव के पास स्थित है। इस गांव में जाने के लिए उत्तन रोड के मुख्यमार्ग पर उतर कर करीब 3 किलोमीटर मुंबई की ओर दक्षिण दिशा में जाना पड़ता है। खोपरा गांव के पश्चिम में पहाड़ी डोंगर तो पूर्व में समुद्री खाड़ी है। इस गांव के रहवासी बताते हैं कि इस समय उनकी 7 वीं पीढ़ी यहां रह रही है। उनके पूर्वज करीब 400 वर्ष पूर्व से ही यहां बसे हुए हैं। वर्तमान में खोपरा गांव में करीब 60 कच्चे पक्के घर बने हुए हैं। यहां की जनसंख्या करीब 250 है, जिनमें 150 के करीब मतदाता हैं ,जिनके पास मतदाता पहचान पत्र भी है।रहवासियों का कहना हैं की नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं और जीत कर आने के बाद अपनी शकल तक नहीं दिखाते. 
स्थानीय प्रशासन के रवैये से नाराज रहवासी 
मुख्य मार्ग से जोड़े गांव को 
देश की आजादी के पहले से ही हमारा परिवार यहां रहता हैं,लेकिन जैसे जीवन पहले था वैसा ही आज भी जी रहे हैं.हमारी स्थिति में आज भी कोई बदलाव नहीं हैं. हमारे गांव में कुछ परिवर्तन नही हुआ है।आपातकालीन स्थिति में आज भी कोई गाड़ी हमारे गांव में नही आ सकती।अब यह चाहते हैं कि आने वाली अगली पीढ़ी को यह सब नही झेलना पड़े। कम से कम हमारे गांव को मुख्य सड़क से जोड़ दी जाए -            मनोहर नारायण पाटिल ( ग्रामीण)
सिलेंडर सिर पर लाना पड़ता हैं. 
◆अपनी बात कहते भावुक हो जाती 70 की उम्र पार कर चुकी विठाबाई कहती हैं की आज भी गॅस सिलेंडर हमारे घर तक नहीं आता. एजेंसी सिलेंडर को उत्तन जानेवाले मुख्य मार्ग के नाके पर छोड़कर जाते हैं. वहां से हंमे सिलेंडर को सिर पर उठाकर गांव तक लाना पड़ता है। जिससे हंमे बहुत तकलीफ होती है। गांव तक सड़क बन जाये तो सबको बड़ी राहत मिलेगी. गांवो के विकास की बात करनेवालों को गंभीरता से सोचना चाहिए. हमने जो तकलीफे देखी वो आनेवाली पीढ़ी ना देखे. - विठाबाई सदानंद पाटिल ( ग्रामीण) 
माता पिता से रहना पड़ता दूर 
◆ मुझे राई गांव के आदर्श विद्या मंदिर में पढ़ने जाना पड़ता है। जो हमारे गांव से 5 किलोमीटर दूर है। सड़क नही होने के कारण हंमे पैदल ही स्कूल जाना पड़ता है। बरसात के दिनों में हमें काफी दिक्कत होती है। कभी कभी घुटने तक पानी मे से चलकर जाना पड़ता हैं. स्कूल पहुंचने के लिए बहुत जल्दी घर से निकलना पड़ता हैं.कुछ बच्चे आने जाने में तकलीफ ना हो इसलिए अपने रिश्तेदारों के यहां रहते हैं . - रिद्धि प्रदीप पाटिल  ( विद्द्यार्थिनी)
कुंवारे हैं लोग 
हमारे गांव तक आने के लिए सड़क नही होने के कारण कोई भी अपनी लड़की की शादी इस गांव के लड़के से नही करना चाहता। जिसके कारण इस गांव के कई लड़के उम्र दराज होने तक कुंवारे ही रहते हैं। मेरी उम्र भी ३५ वर्ष हो गई है। सड़क नही होने के कारण मेरी शादी नही हो रही है - अकबर अनवर मुजावर ( ग्रामीण)
सरकारी उपेक्षा का शिकार 
देश आजाद होने के 73 वर्षों बाद भी भाईंदर स्टेशन से महज 12-13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खोपरा गांव सरकार की सभी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। सरकारी तंत्रों के उपेक्षा का शिकार है। यह बहुत ही सोचनीय और दुखद है। मीरा भाईंदर महानगर पालिका प्रशासन इस गांव के लोगों की समस्या पर शीघ्र संज्ञान लेगी। यह अपेक्षा करते हैं -


विनोद मिश्र,पत्रकार


प्रशासन ध्यान दे 
आश्चर्य की बात हैं की शहर के बीच बसा गांव आज भी मुलभुत सुविधाओं से वंचित हैं. गांवों को शहरों से जोड़ने की बात करनेवालों को गंभीरता से इस और ध्यान देना चाहिए और सड़क का निर्माण तत्काल करना चाहिए. 
प्रमोद तिवारी-सलहाकार,युथ फोरम 
लॉकडाऊन में नहीं ली सूद  
◆ लॉकडाऊन की अवधि में हंमे बहुत दिक्कत का सामना करना पड़ा। सड़क नही होने के कारण गांव में कोई दुकान नही है। हंमे राशन अनाज आदि के लिए उत्तन के बाजार या भाइंदर जाना पड़ता है। लॉक डाऊन में पुलिस हंमे जाने नही दे रही थी। कोई सरकारी राहत या योजना भी इस गांव में नहीं पहुंची। सिर्फ एकबार उत्तन चर्च से आकर कुछ लोगों ने राशन दी थी - प्रभात पाटिल



करेंगे आंदोलन 
◆ वर्षों से यहां के रहिवासी सभी प्रकार के टैक्स भरते हैं। जबकि इस गांव में घनकचरा की गाड़ी, अग्निशमन विभाग की गाड़ी कभी नही आती। मल प्रवाह शुल्क, पानी शुल्क आदि वसूल किया जाता है। चुनाव के समय सभी सड़क का आश्वासन देते है, लेकिन अभी तक इस पर अमल नही हुआ। अब हम चुप नही बैठेंगे, सड़क निर्माण शीघ्र नही शुरू किया गया तो हम उत्तन रोड को जाम कर सड़क बंद आंदोलन करेंगे - प्रशांत म्हात्रे ( आगरी समाज एकता, अध्यक्ष मीरा भाइंदर)
सड़क का होगा निर्माण 
◆ इस गांव के लिए सड़क निर्माण की मांग वर्षों से की जा रही है। एक बार मनपा प्रशासन ने सड़क निर्माण की पहल भी की थी, लेकिन गांव तक जाने के मार्ग में नमक विभाग की जमीन पड़ने से कार्य नही किया जा सका। लेकिन अब २०१९ की महासभा में इस गांव के लिए विकास नक्शा(डेवलपमेंट प्लान) में सड़क को मंजूरी दे गई है। अब शीघ्र ही सड़क निर्माण की दिशा में तेजी से कार्य शुरू की जाएगी - दीपक खांबित ( कार्यकारी अभियंता, सार्वजनिक निर्माण विभाग, एमबीएमसी)