लॉकडाऊन" और नशेड़ियों का हाल...


 


कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने और इस पर नियंत्रण के लिए संचार बंदी व लॉक डाउन लागू की गई है। इस लॉकडाऊन में जहां एक ओर रोजमर्रा की जरूरत के सामानों की खरीददारी के लिए आम नागरिकों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। तो वहीं दूसरी ओर शराब, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट ,गुटखा, मावा जैसे विभिन्न नशे के आदि लोगों का बुरा हाल देखा जा रहा है।


ऐसे देखा जाए तो करीब 50 प्रतिशत लोग किसी न किसी नशे के आदि हैं। लॉकडाऊन में ऐसे लोगों को उनके नशे की सामग्री सरलता से उपलब्ध नही हो पा रही। इस वजह से ऐसे लोगों को लॉकडाऊन में भी यत्र तत्र भटकते देखा जा रहा है। साथ ही नशे के सौदागर नशेड़ियों का जमकर दोहन कर रहे हैं। 


आलम यह है कि साधारणतः 5 से 7 रुपये में बिकने वाली पंढरपुरी तंबाकू की एक पैकेट इन दिनों 80 रुपये में बिक रही है। 100 रुपये में एक पैकेट बिकने वाली सिगरेट 300 रुपये तो 150 रुपये में बिकने वाली एक क़वार्टर शराब की बोतल 500 से 700 रुपये में बेची जा रही है। इस कालाबाजारी और बढ़े दामों की वजह से सिगरेट पीने के आदि लोग बीड़ी तो विदेशी शराब पीने वाले देशी दारू तक ढूंढते दिखाई दे रहे हैं।


नशे के आदि जिन लोगों को उनके नशे की सामग्री नही मिल रही है। उनमें बेचैनी, घबराहट , मानसिक विक्षिप्तता जैसी हालत दिखाई देती है। वहीं इस लॉकडाऊन की वजह से कई नशेड़ियों की नशे की आदत भी छूटते देखी गई है।


महाराष्ट्र में शराब की दुकान खोले जाने की वकालत या मांग भी कई लोगों द्वारा की जा रही है। नियमित शराब का सेवन करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि जिस तरह से सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर अन्य सामग्रियों के विक्री के लिए समय निर्धारित की गई है। उसी प्रकार शराब की दुकानों को भी खोलने की अनुमति दी जानी चाहिए। इससे लॉकडाउन की वजह से बिगड़ती अर्थ व्यवस्था में भी कुछ हद तक सुधार की जा सकती है और शराब की विक्री से राज्य सरकारों को राजस्व का लाभ हो सकेगा। साथ ही मुनाफाखोरों पर लगाम लग सकेगी।