लॉकडाउन से उत्पन्न चुनोतियां

एक लाख लोगों की कोरोना टेस्टिंग रोज हो


राकेश दुबे /मुंबई


हमारे देश में कोरोना महामारी ने अब अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। जिस तरह से कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में दिनोंदिन इजाफा हो रहा है उससे तो यही लगता है कि यहां भी स्थितियां बहुत अच्छी नहीं हैं। हमारे सामने कई तरह की चुनौतियां पैदा हो गई हैं। जिससे निजात पाना बहुत जरूरी है। इसके लिए सरकार और प्रशासन को साथ मिलकर काम करना होगा। पिछले 21 दिन के लॉकडाउन से उत्पादन लगभग ठप है। खेती के काम में बाधा आ रही है। मजदूर बेरोजगार हैं। यदि आर्थिक गतिविधियां तुरंत शुरू न की गईं तो एक बड़े तबके के सामने भुखमरी की समस्या आ सकती है। जो न सिर्फ कोरोना से लड़ाई को कमजोर करेगी, बल्कि एक नया सामाजिक संकट पैदा कर सकती है। ऐसे में बीच का कोई रास्ता निकालना जरूरी हो गया है। लॉकडाउन के इस दूसरे दौर में जहां हम सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करना होगा, वहीं समाज के विभिन्न वर्गों की आवश्यकताएं भी पूरी करनी होंगी।


एक रपट के मुताबिक कोरोना वायरस के संकट के कारण भारत के असंगठित क्षेत्र के 40 करोड़ श्रमिकों के पूरी तरह निर्धन और वंचित होने का खतरा पैदा हो गया है। मार्च के अंतिम सप्ताह में किए गए एक सर्वे के मुताबिक दूसरे राज्यों में फंसे रह गए लाखों मजदूरों में 80 फीसदी से ज्यादा मजदूरों के पास 21 दिन के लॉकडाउन से पहले ही राशन पूरी तरह खत्म हो जाएगा और वे भुखमरी के कगार पर पहुंच सकते हैं। इसलिए लोग मानते हैं कि सरकार को अपने भंडागारों से उन्हें तत्काल अनाज उपलब्ध कराना चाहिए। इसके अलावा उन्हें तेल, नमक, मसाला, चीनी और साबुन आदि भी उपलब्ध कराना चाहिए,  ताकि लॉकडाउन की अवधि बढ़ने के बाद भी वे जिंदा रह सकें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि सरकारी योजनाओं का लाभ सभी जरूरतमंदों तक पहुंच रहा है या नहीं। मजदूरों के एक जगह रुक जाने की वजह से गेहूं के फसल की कटाई नहीं हो पा रही है। खेतों में गेहूं की फसलें तैयार खड़ी हैं। उन्हें कटने और थ्रेसिंग का इंतजार है।


लॉकडाउन के वर्तमान दौर में पुलिस की ज्यादती के चलते आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई भी प्रभावित हुई है। बहुत अधिक पुलिसिया चेकिंग से परेशान होकर कई ट्रांसपोर्टरों ने काम करना बंद कर दिया है। मौजूदा हालात में केवल 10 फीसदी ट्रक ही सप्लाई के काम में लगे हैं। कोशिश यह होनी चाहिए कि आवश्यक चीजों की सप्लाई को बाधित न किया जाए और ट्रकों को अधिक से अधिक संख्या में चलने दिया जाए। जिससे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति में सुधार हो सके। यही नहीं कोरोना की टेस्टिंग की संख्या भी बढायी जानी चाहिए। कम से कम रोज एक लाख लोगों की कोरोना टेस्टिंग होनी चाहिए। अभी तक यह आंकड़ा महज 17000 है। इस तरह देखा जाए तो देश के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, जिसे समय रहते ठीक करना होगा। ताकि देश में लोगों का जीवन भी बचे और बचे हुए लोगों को किसी तरह की कोई परेशानी न हो।