श्रीप्रकाश केशरदेव जालुका
बच्चो को सकारात्मक आदेश दे
दोस्तों यह मुहावरा हम हमेशा से सुनते आए हैं- की मन के हारे हार है मन के जीते जीत ,लेकिन अनेक लोग यह जानते ही नहीं कि मन को विजेता कैसे बनाएं? मन को विजेता बनाने से पहले हमें समझना पड़ेगा कि आखिर में मन है क्या? जब हम जन्म लेते हैं तो हमारे साथ में एक मस्तिष्क होता है जो हमारे अंग का एक हिस्सा होता है,यह एक अवयव होता है। यह ठीक उसी प्रकार होता है जैसे जब हम कंप्यूटर लेते हैं या स्मार्टफोन लेते हैं, तो उसकी जो बॉडी होती है उसके अंदर के स्पेयर पार्ट्स होते हैं,लेकिन उसको चलाने के लिए सॉफ्टवेयर की जरूरत पड़ती है और सॉफ्टवेयर एक ऐसी चीज है जो आपको दिखाई नहीं देती लेकिन सारा संचालन सॉफ्टवेयर के जरिए ही होता है । ठीक वैसे ही जैसे विद्युत उपकरणों को हम देख सकते हैं उसको तार को देख सकते हैं लेकिन उस तार में संचालित होती विद्युत तरंगों को हम देख नहीं सकते लेकिन हमें पता है उसी की कारण आज उपकरण चल रहे हैं । दोस्तों हम बात करेंगे मन की मनोविज्ञान में मन को दो हिस्सों में बांटा गया है एक होता है चेतन मन और दूसरा होता है अवचेतन मन जब हम जागृत अवस्था में हम कोई कार्य करते हैं वह हमारी चेतन मन से संचालित होता है किंतु हमारे जीवन में बहुत सारे काम ऐसे होते हैं जो हम बार-बार करते हैं और जिसके लिए हमें ना उसकी तरफ ध्यान देना पड़ता है ना ही सोचना पड़ता है ऐसे जो कार्य है अवचेतन मन से संचालित होते हैं।
जब बच्चा जन्म लेता है तब उम्र के लगभग 4 वर्ष तक चेतन और अवचेतन मन के बीच में कोई द्वार नहीं होता कोई रुकावट नहीं होती बच्चा जो भी देखता है सूंघता है महसूस करता है सुनता है अथवा चखता है वह सब अपने अवचेतन मन में धारण करते रहता है और इसी प्रकार धीरे धीरे माता-पिता , रिश्तेदार गुरु जन मित्र एवं आसपास के लोग तथा माहौल के द्वारा बच्चे की प्रोग्रामिंग होती जाती होती जाती है और उसके अवचेतन मन में अनेक तरह के विश्वास एवं धारणाएं और बनते जाते हैं और फिर उसका जीवन उन्हीं विश्वासों के संचालन होना शुरू हो जाता है। उसके बाद जब भी उसके पास कोई भी चीज आती है उसे कोई नया निर्णय लेना होता है तो वह अपने विश्वासों एवं धारणाओं से से उन्हें तोलता है और उसके बाद ही कीसी निर्णय को लेता है अथवा कार्य को करता है । यहाँ सोचने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर बच्चे की प्रोग्रामिंग नकारात्मक हो गयी है तो जीवन में उसका जो नजरिया है वह भी नकारात्मक हो जाता है, और अगर उसी बच्चे की प्रोग्रामिंग सकारात्मक हुइ है तो वह अपने जीवन में सकारात्मक विचारों को तथा सकारात्मक नजरिये को लेकर प्रगति की ओर अग्रसर होगा ।
आप लोगों से निवेदन है अपने बच्चों को जो भी आदेश दे वह सकारात्मक दें और उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाले दे ताकि आने वाले समय में जब उसका बिलीफ सिस्टम सकारात्मक होगा तो वह अपने जीवन को उसी नजरिए से देखते हुए आगे बढ़ेगा।
यह तो हुई बचपन की बात लेकिन व्यस्क होने के बाद में हम क्या करें अगर हमारी प्रोग्रामिंग नकारात्मक हो गई है, तो ऐसी क्या चीज है जिसके जरिए हम अपनी प्रोग्रामिंग में बदलाव लाए और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएं।
जैसे मैंने अपने पिछले लेख में कहा था कि आप अपने हस्ताक्षर के जरिए भी अपनी प्रोग्रामिंग में बदलाव ला सकते हैं, उसके अलावा और भी कई तरीके हैं उसमें से एक बेहतरीन तरीका होता है स्वसंदेश (self talk) के जरिए आप अपने आप को सकारात्मक प्रोग्रामिंग करना जिसे affirmations भी कहते हैं । आपको प्रतिदिन प्रातः काल उठते ही तथा रात्रि में सोते समय अपने आप को सकारात्मक संदेश देना है । क्योंकि रात को हम जिस विचार के साथ सोते हैं वही विचार सारी रात हमारे मन में चलते रहते हैं और वह उसकी प्रोग्रामिंग को और मजबूत करते है ।आप अपनी प्रोग्रामिंग को सकारात्मक करने के लिए रात में सोते समय सकारात्मक विचारों के साथ सोए। किसी भी प्रकार के नकारात्मक टीवी कार्यक्रम या अखबार या न्यूज़ इन चीजों के साथ न सोए और ना ही अपनी सुबह की शुरुआत इनके साथ करें। आपका अवचेतन मन सकारात्मक या नकारात्मक, हां या ना में फर्क नहीं समझता है इसलिए आप उसे जो भी आदेश दे वह सकारात्मक एवं स्पष्ट रूप से दे।
उदाहरण के लिए आप यह ना बोले कि आप जीवन में क्या नहीं चाहते। जैसे कुछ लोग कहते हैं "मैं नुकसान उठाना नहीं चाहता" या "मैं बीमार पड़ना नहीं चाहता।"
इसके बदले आप सकारात्मक आदेश दें कि "मैं लाभ कमाना चाहता हूं।" अथवा "मैं स्वस्थ रहना चाहता हूं।"
इस तरह के सकारात्मक आदेश जब आपके अवचेतन मन में लगातार जाते रहेंगे तो धीरे-धीरे जो पुराने नकारात्मक विचार हैं वह धूमिल हो जाएंगे और आपके अवचेतन मन की नई प्रोग्रामिंग होगी। इस प्रकार आप देखेंगे कि कुछ ही समय बाद आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आने शुरू हो जाएंगे और आप सफलता की ओर अग्रसर होने लगेंगे। अधिक जानकारी के लिए संपर्क कर सकते हैं ।
( लेेेखक ग्राफ़ोलॉजिस्ट, माइंड एंड मेमोरी कोच, NLP प्रैक्टिशनर है )