प्रतापगढ़ - परम पूज्य आचार्य श्री 108 सुनील सागर जी मुनिराज के शिष्य पूज्य मुनि श्री 108 सुहृदय सागर जी मुनिराज का रविवार को शांतिनाथ तीर्थ क्षेत्र, बामोतर, प्रतापगढ़ में समाधिमरण हुआ। यह जानकारी विश्व जैन संगठन ने दी।
प. पू. आचार्य श्री सुनील सागर जी को 2017 महावीर जन्म कल्याणक के दिन प्रतापगढ में दीक्षा देकर क्षुल्लक श्री सुहद सागर बना दिया।
वृद्ध अवस्था मे भी मजबूत मनोबल के साथ उन्होंने आराध्य गुरु के समीप रहते हुए उत्तम साधना करते रहे । लेकिन अब वृद्धावस्था से शरीरी साधना में बाध्य हो रहा था।अतः उन्होंने अपने इष्ट गुरु श्री सुनील सागर जी से समाधि की भावना व्यक्त की, जिस पर गुरुदेव ने भी भव्यात्मा की निकट समाधि व शुभ इच्छा को जानकर दिनांक 17.4.2020 को प्रातः शुभ वेला में अत्यंत सादगी पूर्वक क्षुल्लक श्री को मुनि दीक्षा प्रदान की ओर मुनि श्री सुहद सागर जी अपने गुरु के निर्देश व सम्बोधन के अनुसार समाधि सल्लेखना की ओर अग्रसर हो गए।
संघस्थ कुशल मुनि भगवन्तों के सेवा-वैयावृत्ति व गुरु सम्बोधन के साथ आज दिनांक 19 अप्रैल को मुनि श्री सुहद सागर का शरीर-आत्म के भेद विज्ञान, कठोर आत्मबल व धर्म ध्यान मयी स्थिर समता भाव चित्त पूर्वक उत्तम समाधि मरण हुआ।
मुनि श्री ने अपने जीवन को गुरु श्री सुनील सागर जी के चरणों मे समर्पित करके अपने इस नर भव का कल्याण करते हुए साधक जीवन के अंतिम लक्ष्य समाधि मरण को प्राप्त हुए निकट भव में मोक्ष को प्राप्त हो, ऐसी मंगल कामना