यह चातुर्मास जनता के बिना विशेष रूप से निजी ज्ञान , ध्यान , स्वाध्याय और आत्म साधना से भरपूर होगा । :-
पाली :- राजस्थान के पाली के पास स्थित विजय वल्लभ साधना केंद्र में बिराजमान पंजाब केसरी आचार्य श्री विजय वल्लभ सूरीस्वरजी समुदाय के गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय नित्यानंद सूरीश्वर जी महाराज , आचार्य श्री विजय जयानन्द सूरिश्ववरजी महाराज , आचार्य श्री विजय चिदानन्द सूरीश्वरजी महाराज की निश्रा में ऑनलाइन संक्रान्ति कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया ।
वल्लभ वाटिका के फेस बुक पेज द्वारा देश - विदेश के हजारों गुरुभक्तों ने गुरु महाराज के दर्शन किए । गुरुवंदन और मंगलाचरण के बाद लुधियाना जैन संक्रान्ति मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष प्रवीण जैन दुग्गड़ ने गुरु आत्म यह बतला गए और वल्लभ तुझ को ध्याऊँ सवेरे सवेरे भजन प्रस्तुत किये । संक्रांति भक्त भरत मेहता ने ठाणे ( महाराष्ट्र ) से भजन में उनका साथ दिया ।
पाली से नवलचन्द सुप्रतचंद जैन देवकी पेढ़ी ट्रस्ट मण्डल के प्रधान गौतम जी ने कहा कोरोना के कारण लोक डाउन बढ़ता जा रहा है ऐसे में गुरु महाराज पालीताना (गुजरात) में इस वर्ष चातुर्मास न करके हमारे पाली संघ को यह लाभ दें । क्योंकि गुरु वल्लभ के पट्टधर आचार्य श्री समुद्र सूरि जी महाराज की जन्म भूमि पाली है इसलिए इस बार पालीताना नही तो गुरुभूमि पाली में यह चातुर्मास होना चाहिए ।
जैतपुरा तीर्थ के ट्रस्ट मण्डल ने मुम्बई से विनती की । अध्यक्ष घीसूलाल सुराणा और सचिव माणेक मेहता ने ज़ूम मीटिंग द्वारा कहा कि यह तीर्थ स्थान कोरोना संकट काल में चातुर्मास के लिए सबसे उपयुक्त है । हम तो पालीताना में एक हजार आठ श्रद्धालुओं के साथ इस बार विराट चातुर्मास करवाने की तैयारी कर रहे थे किंतु अब गुरु महाराज को यहीं चातुर्मास की आज्ञा देनी चाहिए ।
इसी तरह सादड़ी , नागौर , बीकानेर आदि अनेक संघों की भी चातुर्मास करवाने की भावना व्यक्त की गई ।
आचार्य श्री जयानन्द सूरि जी महाराज ने सुंदर गीत प्रस्तुत किया तथा आचार्य श्री चिदानन्द सूरि जी महाराज ने उसी गीत की पंक्तियों को आधार बनाकर अपना प्रवचन देते हुए कहा कि कोरोना में अपने मन को प्रभुमय बना लो तब दिशा भी मिलेगी और संकट भी टलेंगे । जिसके हृदय में प्रभु होंगे उसे कभी रोना नही पड़ेगा ।
गच्छाधिपति आचार्यश्री ने प्रवचन में सबसे पहले सभी लोगों के लिए सपरिवार कुशलता का कामना की । उन्होंने कहा कि पूर्व काल में भी जब जब महामारियां आई तब तब श्री शांतिनाथ भगवान के जाप , स्मरण , ध्यान आदि से उनका नाश हुआ । 20 मई को श्री शांतिनाथ भगवान का जन्म , मोक्ष कल्याणक तथा 21 मई को दीक्षा कल्याणक पर्व आ रहा है अतः उस दिन विशेष आराधना करके हम सभी को विश्व शांति , आरोग्य और कल्याण की मंगल कामनाएं करनी हैं । प्रार्थना में बड़ा बल है । शुभ संकल्प पूर्वक सामूहिक रुप से की जाने वाली प्रार्थना द्वारा ब्रह्मांड में से नेगेटिविटी दूर होती है । आपदा का अंत हो जाता है ।
गच्छाधिपति जी ने कहा कि 52 वर्ष के दीक्षा काल में पहली बार जैन धर्म के सर्वोच्च तीर्थ पालीताना में विशाल स्तर पर चातुर्मास व्यतीत करने का भाव बनाया था किंतु कोरोना के कारण अब परिवर्तन करना जरूरी हो गया है । उन्होंने अपने दोनों आचार्यों व साधु साध्वियों के साथ वर्ष 2020 के चातुर्मास के लिए विजय वल्लभ साधना केंद्र जैतपुरा तीर्थ के ट्रस्ट मण्डल को स्वीकृति प्रदान की ।
गच्छाधिपति जी ने अपने आज्ञानुवर्ती शेष आचार्यों , साधु साध्वी वृन्द के परिवर्तित चातुर्मास स्थलों की भी घोषणा की ।
उन्होंने कहा कि इस बार चातुर्मास पूर्णतया एकांतवास जैसा होगा और सादगीपूर्ण तरीके से सम्पन्न होगा । बड़े बड़े आयोजन तथा अनुष्ठान नही करवाये जाएंगे । आस - पास अथवा दूर - सुदूर से दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को भी तभी आना है जब लोक डाउन खुलने के बाद गुरु भगवन्त इजाजत देंगे । यह चातुर्मास जनता के बिना विशेष रूप से निजी ज्ञान , ध्यान , स्वाध्याय और आत्म साधना से भरपूर होगा ।
इस अवसर पर कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यदक्ष मुनि श्री मोक्षानंद विजय जी महाराज ने किया । उन्होंने इस महीने आने वाले तीर्थंकरों के कल्याणक पर्व दिवस भी बताए ।
साथ ही उन्होंने बताया कि 15 मई को गुरु समुद्र की 44वीं पुण्य तिथि पर सुबह साढ़े नो बजे लाइव प्रवचन और भजन कार्यक्रम प्रसारित होगा । रात्रि 9 बजे बीकानेर से संगीतकार महेंद्र कोचर गुरु समुद्र भक्ति संध्या में सभी को मंत्र मुग्ध करेंगे । 30 मई को गुरु श्री आत्माराम जी महाराज की 125वीं पुण्य तिथि है । उस दिन श्री आत्म वल्लभ जैन धार्मिक ऑनलाइन पाठशाला का शुभारंभ गणि श्री जयकीर्ति विजय जी म.सा. के मार्गदर्शन में होगा ।
संक्रान्ति भजन , मंगल स्तोत्र के बाद गच्छाधिपति जी ने संक्रान्ति नाम सुनाया और सभी को आशीर्वाद प्रदान किया ।