संतों की भूमि भारत में मंदिर बंद, खुले मदिरालय


रामचंद्र कह गये सिया से ऐसा कलयुग आएगा----


- राकेश दुबे


मुंबई। संतों, ऋषि - मुनियों की भूमि भारत में मंदिर तो बंद हैं मगर मदिरालय खोल दिए गए हैं। यह तो आश्चर्य की बात है। जिस देश में मंदिरों में दर्शन,  पूजा - आरती, भजन - कीर्तन के लिए लोगों को अनुमति नहीं दी गई,  मगर शराब की दुकानें खोलने की इजाजत दे दी गई। सरकार के इस फैसले की चारों ओर निंदा हो रही है। 
कोरोना वायरस की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के तीसरे चरण में केंद्र सरकार ने शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति दी, तो आज देश के कई हिस्सों में शराब की दुकानें खुलीं। तीनों जोन (रेड, ऑरेंज और ग्रीन) जहां मदिरालय खुले वहां शराब लेने के लिए लोगों की भारी भीड़ लगी रही। वाराणसी से एक सूत्र के मुताबिक शराब की दुकानें खुलने की सूचना मिलते ही आज भोर में ही शराबियों ने दुकान के बाहर लाइन लगा ली, लोग अपने गमछे रखकर लाइन में होने का अपना दावा पुख्ता करते नजर आए। हालांकि, इस दौरान लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते जरूर नजर आए। मगर दुबारा दुकानें बंद हो जाने की चिंता में लोग ज्यादा से ज्यादा शराब खरीद कर रख लेना चाहते हैं।
लॉकडाउन - 3 देश में लागू होते ही शराब की दुकानें भी खुल गईं। इस दौरान कई राज्यों में लोग शराब को खरीदने के लिए ठेकों के बाहर लंबी कतार लगाए नजर आए। इस दौरान लोग धक्का मुक्की करते नजर आए और सोशल डिस्टेंसिंग की छज्जियां उड़ती रहीं। कुछ जगहों पर पुलिस को भीड़ को लाठी मारकर भगाना पड़ा। 
छत्तीसगढ़ के रायपुर में सुबह से ही शराब खरीदने वालों की लाइन लग गई। इस दौरान कहीं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो कहीं उसका पालन न करते हुए नजर आए लोग। वहीं, कर्नाटक के हुबली में भी शराब की दुकान सोमवार सुबह खुली। इसके बाद से ही लोगों ने ठेकों पर जाना शुरू कर दिया। कर्नाटक सरकार ने राज्य में सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक शराब की बिक्री की अनुमति दी है। भीड़ के मद्देनजर कई इलाकों में शराब की दुकानें बंद कराई गईं और लोगों को वहां से हटाया गया।
दिल्ली के भी कई इलाकों में शराब की दुकानें खुलीं, तो कुछ दुकानों के बाहर भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने दुकान बंद कराई,  तो कुछ दुकानों पर भीड़ को देखते हुए लोगों को वहां से खदेड़ना पड़ा। इस दौरान कई जगहों पर केंद्र सरकार की तरफ से जारी गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ती दिखीं। गृह मंत्रालय के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, एक समय में अधिकतम पांच व्यक्तियों के साथ न्यूनतम छह फीट की सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के बाद शराब, पान और तंबाकू की बिक्री की अनुमति दी गई है। ये दुकानें शहरी क्षेत्रों के बाजारों और मॉल में नहीं होनी चाहिए।
उत्तराखंड में शराब ठेके खोलने से पहले सुरक्षा को लेकर आबकारी आयुक्त सुशील कुमार ने गाइडलाइन जारी कर दी है। आदेश के मुताबिक ठेके पर एक समय में पांच खरीदार उपस्थित होंगे। इनमें छह-छह फीट की दूरी जरूरी होगी। संख्या बढ़ने पर प्रत्येक पांच लोगों के बाद दस फीट का गैप बनाना जरूरी होगा। ठेकों पर शराब बेचने से पहले चालू वित्त वर्ष में घटाए गए शराब के रेट की सूची लगाना जरूरी होगा। इसके साथ ही ठेके पर पासधारक कर्मचारी ही शराब बेच पाएंगे।
केंद्र सरकार ने भले ही सरकारी राजस्व बढ़ाने के लिए शराब बिक्री शुरू की है। मगर सरकार के इस फैसले की लोग निंदा करते नजर आए। लोगों का कहना है कि सरकार ने जब मंदिर,  मसजिद, गुरुद्वारा आदि धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत नहीं दी, ऐसे में शराब की बिक्री कर वह क्या साबित करना चाहती है। भारत संतों,  ऋषि - मुनियों और तपस्वियों की भूमि है। ऐसे में शराब की बिक्री से लोगों में आखिर क्या संदेश देना चाहती है केंद्र सरकार। जिन राज्यों में पूर्ण शराब बंदी है, क्या उन राज्यों में राजस्व की कमी नहीं हो रही है। आखिर वे राज्य सरकारें भी तो सुचारु रूप से चल रही हैं। फिर शराब बिक्री की अनुमति देकर केंद्र सरकार ने स्वयं ही आफत मोल ले ली है।